छलकता है गर अल्फ़ाज़ आँखों से,
क़ीमती है, लेकिन छलक जाने दो,
मोतियों की माला को टूट कर,
इस फ़र्श पर बिखर जाने दो,
रु ब रु ख़ुद से हो कर,
ख़ुद को भी थोड़ा बिखर जाने दो,
जाने भी दो, और जीना सीखो
ख़ुद को थोड़ा और निखर जाने दो।
क़ीमती है, लेकिन छलक जाने दो,
मोतियों की माला को टूट कर,
इस फ़र्श पर बिखर जाने दो,
रु ब रु ख़ुद से हो कर,
ख़ुद को भी थोड़ा बिखर जाने दो,
जाने भी दो, और जीना सीखो
ख़ुद को थोड़ा और निखर जाने दो।
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