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रंग दे तू मेरा लिबास

रंग दे तू मेरा लिबास,
ला रंग दे तू , अब ये लिबास
सब रंग मिले, एक रंक मिला
प्रासाद के रस में भंग मिला
कही मीत मिला, कभी प्रीत मिला
जीवन में यही है मिली रीत,
इस से अब अपनी बहुत प्रीती
इस रीति-प्रीती के बंधन से
कही हृदय जला
कही रुधिर जला
फिर जला हमारा कुंठित मन
जल बुझ कर हुआ ये दिव्य प्रकाश
इस दिव्य ज्योति में देर न कर
अब ला तू, रंग मेरा लिबास
ला रंग दे तू मेरा लिबास.


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