शब्दों के संसार का बंधन,
जीवन का जंजाल ये बंधन,
बंधन का करना है मंथन,
मंथर गति में होता मंथन,
बंधन तोड़ो, मंथन छोडो,
चलो कही, पर, राह न छोडो,
आस ना छोडो, साथ ना छोडो,
चलो दौड़ कर, थकना मत तुम
झुकना मत तुम, रोना मत तुम,
मत करना कोई परिवर्तन,
चाहे हो समक्ष गोवर्धन,
बढ़ते रहना कठिन डगर पर
अगन के पथ में जलते रहना
पर तुम साथी चलते रहना,
जीवन चक्र बढ़ाते रहना,
समय चक्र से आगे जाकर,
ही तुम रुकना,
पर तब तक, ऐ मेरे साथी,
चलते रहना,
चलते रहना.
जीवन का जंजाल ये बंधन,
बंधन का करना है मंथन,
मंथर गति में होता मंथन,
बंधन तोड़ो, मंथन छोडो,
चलो कही, पर, राह न छोडो,
आस ना छोडो, साथ ना छोडो,
चलो दौड़ कर, थकना मत तुम
झुकना मत तुम, रोना मत तुम,
मत करना कोई परिवर्तन,
चाहे हो समक्ष गोवर्धन,
बढ़ते रहना कठिन डगर पर
अगन के पथ में जलते रहना
पर तुम साथी चलते रहना,
जीवन चक्र बढ़ाते रहना,
समय चक्र से आगे जाकर,
ही तुम रुकना,
पर तब तक, ऐ मेरे साथी,
चलते रहना,
चलते रहना.
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