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चुप रहता हू

मन की कोरी कल्पनाओ में जी लेता हू
मंजिल की परवाह बिना, मै चल पड़ता हू,

खुले हुए दिल से, मै सबसे मिल लेता हू,
बंद निगाहों से, मै सब कुछ कह देता हू,

नाराज न हो जाये कोई, सो चुप रहता हू
जानता हू सब कुछ, 
फिर भी मै चुप रहता हू.

Comments

  1. read your blog, amazing thoughts, nice lines, weaved together.

    Rahul

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