बड़ी दूर निकल आये हम, मंजिल जो दूर थी,
वक़्त का साथ भी न रहा "यथार्थ", वो बड़ा कमबख्त जमाना था,
तेरा साथ तो नसीब में भी न था, पर तेरी याद़ो से बस एक ही बात थी,
मेरी मंजिल मेरी राहें,चाहे जैसी भी रही हो,
मेरा सफ़र एक सुहाना था...
.मेरा सफ़र एक सुहाना था......
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