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समझ

सब कहानी तेरी मै अब समझ गया,
तेरी बातो की तह तक मै पहुँच गया,
तेरे हर एक इशारे को मै समझ गया,
तेरी हर एक कशिश में हू मै खो सा गया,
जिंदा है लोग क्यों यहाँ पे, ये भी मै समझ गया,
तेरी दुनिया के पहलुओं से मै वाकिफ हो गया,
ऐ खुदा तेरी जन्नतों को मै बखूब समझ गया,
चलना होगा मुझे फिर से अपनी उसी डगर,
ना मंजिल है ना किनारा, ना कोई किश्ती जहाँ,
तेरी जन्नत से बेहतर है  मेरी अनजान डगर,
क्यूंकि इस 'अनजान' के अंजाम को, मै समझ गया.
  

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प्रेम की पराकाष्ठा ~ अधूरी बातें (2)

कभी रात के अँधेरे में आप सड़क पर अकेले फूट-फूट कर रोये हैं, वो भी ज़माने बाद | आपको किसी की भी परवाह नहीं होगी उस सन्नाटे में, न कोई आँसू देख सकेगा और न ही सिसकियों की आवाज़ सुन रहा होगा | और कभी बेवजह रोये हैं क्या ? आपको पता ही नहीं चल रहा हो कि आप क्यों रो रहे हैं, समझ ही नहीं पाना कि ये आँसू ख़ुशी के हैं या ग़म के | आज कुछ ऐसा ही अनिकेत के साथ हो रहा था, रात के उस सन्नाटे में, रक्षंदा से मिलने के बाद वो इतनी तेजी से भागा जैसे काटो तो खून नहीं | सबसे ज्यादा कष्ट, सबसे ज्यादा वेदना तभी होती है जब कोई अपना छूटता है | अलविदा कहने के लिए भी आँखों को ही बोलना पड़ता है | और आँखों को क्यों न बोलना पड़े, इंसान के जज्बातों को पूरी सच्चाई से आँखें ही बयां कर सकती हैं | आज कुछ ऐसा ही मंजर था अनिकेत की आँखों में, दोनों, रक्षंदा और अनिकेत  ने बातें ज्यादा तो शिष्टाचार की ही करीं, लेकिन ज़ज्बात बयां करने के लिए तो अनिकेत की डबडबायी आँखें की काफी थी, वैसे रक्षंदा को आज फिर से कुछ भी पता नहीं चल पाया क्यूंकि अनिकेत का प्यार कोई आज कल का परवान चढ़ता प्यार नहीं है बल्कि उसका प्यार ही उसके प्रेम की पराक...

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