कालचक्र का रथ है आगे,
फिर हम सब क्यों है पीछे,
क्षितिज हमेशा मेल दिखाता,
फिर हम सब क्यों है बंटते,
निर्झर सरिता बहती जाती,
फिर हम सब क्यों है ठहरे,
अरुणिम वेला है मौन तोड़ती,
फिर हम सब क्यों है चुप रहते.
फिर हम सब क्यों है पीछे,
क्षितिज हमेशा मेल दिखाता,
फिर हम सब क्यों है बंटते,
निर्झर सरिता बहती जाती,
फिर हम सब क्यों है ठहरे,
अरुणिम वेला है मौन तोड़ती,
फिर हम सब क्यों है चुप रहते.
achhi soch hai keep it up
ReplyDeleteThanks.
Delete