अनिकेत कभी भी अपने दिल की बात रक्षंदा से नहीं कर सका , रक्षंदा से अनिकेत का रिश्ता वाकई में प्रेम से परे था , कम से कम आज कल के प्रेम से तो परे है ही । अनिकेत को रक्षंदा से प्यार तो पहली नज़र में ही हो गया था , पर इज़हार कभी ना हो सका , होता भी कैसे , जब अनिकेत ने पहली बार हिम्मत जुटाई तो कंप्यूटर लैब में रक्षंदा अपनी मण्डली को अपने प्यार की एक शानदार तस्वीर से रूबरू करवा रही थी , तस्वीर की वो लम्बी नीली कार में बैठे उस शख़्स ने , अनिकेत को लम्बी दूरी बनाने के लिए मजबूर दिया । हालाँकि कॉलेज के बाद भी मौके आए कि वो कुछ कहे , लेकिन कभी वक़्त गलत था, तो कभी हालात । उनकी शानदार दोस्ती की कहानियाँ बहुत हैं , अनिकेत चाहता तो बहुत कुछ कर सकता था अपने लिए , लेकिन उसने सिर्फ रक्षंदा की ख़ुशी के लिए ही सोचा और हमेशा उसकी नज़र में दोस्त बन कर रह गया । वो कॉलेज की मस्तियों , कॉफी के प्यालों और रक्षंदा की अनमोल दोस्ती में ही खुश रहने लगा । उसने कभी भी एहसास नहीं होने दिया कि उसे प्यार भी है । रक्...
Hindurdu blog by Animesh on emotions, feelings, experiences, and life to describe love aka truth.