खामोश आँखों ने उसकी,
बढ़ा दी मेरे मन की हलचल ,
उड़ती जुल्फों ने उसकी,
थाम ली मेरे दिल की धड़कन,
हर एक बात ने उसकी ,
कह दी मेरे मन की बात ,
न कुछ था ख़ास उसमें ,
फिर भी थी कुछ खास बात ,
ना उसने कुछ कहा, और ना ही मैंने कुछ कहा ,
पर वक़्त की खामोशियों ने, कह दी थी सारी बात ,
अपनी चुप्पी से वो, हमराज़ बना चली गयी,
न लौटने का वादा की , बिना मुड़े चली गयी ,
मैं भी ना रुका , ना किया उसका इंतज़ार,
निकल पड़ा तलाश में किसी की,
फिर एक बार।
Perfect
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