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Showing posts from 2014

मुसाफिर

अतीत के पन्नों को उलट रहा हूँ , ऐ वक़्त , तुझे ख़ामोशी से सुन रहा हूँ , वो  फिर से याद आया आज , जो पन्नों में दबा था, कई बातें कई यादें, जो  दस्तक दे रही हैं  , अकेला जान मन, फिर  डर गया , फिर डर गया , किताबें बन्द कर , फेंका , मुसाफिर बन गया ।

बीरू राज्य : अतीत, शायद सत्य

बीरू राज्य : अतीत, शायद  सत्य       यहाँ झारखण्ड राज्य के सिमडेगा में देखने और न देखने की बहुत सारी  जगहें हैं, उनमें  बीरू भी है पर  एक देखने की जगह। अरे यहीं पास में ही तो है बीरू , वहाँ अभी हाल ही में एक अच्छा प्राइवेट हॉस्पिटल भी खुला है और मेरे घर पर दूध ले आने  वाले भैया भी तो बीरू से ही आते है। लेकिन आज की सुबह  थी, किसी को सामने चाय की गुमटी पर बात  करते सुना कि बीरू में कभी राजा का शासन था और वहाँ पर अभी भी महल है , बस फिर क्या था मेरा बावरा मन कहने लगा कि आज छुट्टी के दिन तो यहाँ जाना ही है । मैंने भी तैयारी कर ली, चश्मा वश्मा लगा के चल दिए अपनी गाड़ी ले के। बीरू पहुँच के पूछना पड़ा  कि भाई राजा का महल कहाँ है ? खैर , पता चला की यहीं पास में ही है, सड़क से बायीं तरफ का पहला रास्ता और फिर महल। वैसे तो महल देख के सारे अरमान धरे के धरे रह गए लगा की महल न हो के किसी पुराने बड़े जमींदार की पुरानी  हवेली हो , लेकिन अब इतनी दूर आये थे तो देख के ही जाता ।  महल के मुख्य दरवाजे पर दो शेर ब...

अस्तित्व

मेरे साये में उसका अक्स था, वो कोई अनजान सा शख्स था, आँखों ने कह दी थी कुछ बातें, भूली बिसरी सारी यादें, सारी बातें, यथार्थ ये है कि मैं अनजान हूँ, अस्तित्व मेरा ऐसा कि,  खुद से ही परेशान हूँ।