मेरे साये में उसका अक्स था,
वो कोई अनजान सा शख्स था,
आँखों ने कह दी थी कुछ बातें,
भूली बिसरी सारी यादें, सारी बातें,
यथार्थ ये है कि मैं अनजान हूँ,
अस्तित्व मेरा ऐसा कि,
खुद से ही परेशान हूँ।
वो कोई अनजान सा शख्स था,
आँखों ने कह दी थी कुछ बातें,
भूली बिसरी सारी यादें, सारी बातें,
यथार्थ ये है कि मैं अनजान हूँ,
अस्तित्व मेरा ऐसा कि,
खुद से ही परेशान हूँ।
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