बड़ी दूर निकल आये हम, मंजिल जो दूर थी, वक़्त का साथ भी न रहा "यथार्थ", वो बड़ा कमबख्त जमाना था, तेरा साथ तो नसीब में भी न था, पर तेरी याद़ो से बस एक ही बात थी, मेरी मंजिल मेरी राहें,चाहे जैसी भी रही हो, मेरा सफ़र एक सुहाना था... . मेरा सफ़र एक सुहाना था......
Hindurdu blog by Animesh on emotions, feelings, experiences, and life to describe love aka truth.