आज कल आप किसी से ज्यादा दिन न मिले-जुले, न ही अक्सर बातें करें, कुल मिलाकर ये कहूँ कि आज के ज़माने में "टच" में या फिर "कनेक्ट" न रहें तो आप बड़े व्यस्त, स्वार्थी, घमंडी और न जाने क्या-क्या बन जाते हैं, और अगर इनमे से कुछ नहीं बन पाए तो सामने वाला आपको "बड़ा आदमी" तो बना ही देता है, फिर रिश्तों में वही नाराज़गी, रूठने-मनाने, खिदमत और जद्दोजहद का एक दौर शुरू हो जाता है | रिश्तों का कोई सामाजिक स्तर पर नाम हो या न हो, लेकिन अनिकेत और रक्षंदा का रिश्ता इन सब ताने-बाने से अलग ही था, है और रहेगा | दोनों ही अपनी ज़िन्दगी में व्यस्त हैं, बातें कभी-कभार हो जाती हैं, और मुलाकात हुए तो बरसों भी बीत जाते हैं, लेकिन कोई शिकवा या शिकायत नहीं होती है | अनिकेत का तो चलो मान भी लें कि उसे रक्षंदा से प्यार है , लेकिन रक्षंदा को तो नहीं है शायद , लेकिन इसके बावजूद भी, रक्षंदा ने कभी भी काफी अरसे पर होने वाली अनिकेत संग बात-चीत या मुलाकातों को लेकर कभी कोई जुमलेबाजी नहीं की | अनिकेत को तो सभी जानते हैं लेकिन रक्षंदा के चरित्र की इस गहराई को तो कोई नहीं जानता, शायद प्रेम तो...
Hindurdu blog by Animesh on emotions, feelings, experiences, and life to describe love aka truth.