आज सुबह अनिकेत ने चाय पीना शुरू ही किया था कि तभी मोबाइल में आए हुए ई-मेल ने एक नया काम पकड़ा दिया, वो भी उसके ऑफिस का । अब ये क्या, आज ही जाना होगा, वो भी राँची । उसने झुंझला कर अपना फ़ोन बिस्तर पर बड़ी बेरूखी से पटका, और पेपर पढ़ने बैठ गया । अनिकेत ने अभी अपने बॉस को कोसना शुरू ही किया था और अचानक से उसकी आँखें ही चमक उठी, और भला क्यों न चमक उठती, आज कल रक्षन्दा भी तो रांची में ही है । अपने एविएटर चश्मे को न जाने कितनी बार पोछ चुके अनिकेत का वो पचास मिनट का हवाई सफर जैसे बीत ही नहीं रहा हो । वैसे रांची से अनिकेत का पुराना नाता रहा है अपनी पढ़ाई को ले कर, लेकिन इस बार की बेसब्री कुछ और ही बयाँ कर रही थी। उसे तो जल्दी थी, रक्षन्दा को सरप्राइज देने की। वैसे रक्षन्दा उसकी अभी भी बहुत ही अच्छी दोस्त है , और अनिकेत ने आज भी उसे ये एहसास ही नहीं होने दिया की उसे रक्षन्दा से प्यार है । इस अनकही प्यार की कहानी चली आ रही है, एक अरसे से। रांची एयरपोर्ट से शहर की तरफ आते हुए, हिनू में एक मॉल खुल गया है , बाकी शहरों की तरह रांची भी बदल...
Hindurdu blog by Animesh on emotions, feelings, experiences, and life to describe love aka truth.