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Showing posts from September, 2014

मुसाफिर

अतीत के पन्नों को उलट रहा हूँ , ऐ वक़्त , तुझे ख़ामोशी से सुन रहा हूँ , वो  फिर से याद आया आज , जो पन्नों में दबा था, कई बातें कई यादें, जो  दस्तक दे रही हैं  , अकेला जान मन, फिर  डर गया , फिर डर गया , किताबें बन्द कर , फेंका , मुसाफिर बन गया ।