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Showing posts from April, 2012

समझ

सब कहानी तेरी मै अब समझ गया, तेरी बातो की तह तक मै पहुँच गया, तेरे हर एक इशारे को मै समझ गया, तेरी हर एक कशिश में हू मै खो सा गया, जिंदा है लोग क्यों यहाँ पे, ये भी मै समझ गया, तेरी दुनिया के पहलुओं से मै वाकिफ हो गया, ऐ खुदा तेरी जन्नतों को मै बखूब समझ गया, चलना होगा मुझे फिर से अपनी उसी डगर, ना मंजिल है ना किनारा, ना कोई किश्ती जहाँ, तेरी जन्नत से बेहतर है  मेरी अनजान डगर, क्यूंकि इस 'अनजान' के अंजाम को, मै समझ गया.   
मेरी हर बात जो, तुम्हे है अब बुरी सी लगने लगी, मेरी हर आदतें तुम्हे है अब बुरी सी लगने लगी, वजह है क्या, है जो तुम्हे पता, मुझे बता भी दो, समझ के, नासमझ बनो तो कहते  है  खता, जो भी है, जैसा है, वैसा है हो सकता, न सजा है, न सजा दो, ये भी हमको है पता.