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Showing posts from February, 2012

क्यों

कालचक्र का रथ है आगे, फिर हम सब क्यों है पीछे, क्षितिज हमेशा मेल दिखाता, फिर हम सब क्यों है बंटते, निर्झर सरिता बहती जाती, फिर हम सब क्यों है ठहरे, अरुणिम वेला है मौन तोड़ती, फिर हम सब क्यों है चुप  रहते.